याद करां थारी बातां ने, नींद न आवे रातां ने।
म्हाने खाटू मांहि बुलाल्यो जी, श्याम घणी ।।
तर्ज – मोरछड़ी थारे हाथा में, हीरो चमके माथा में।
पंख जो होता मेर बाबा, खाटू मं उड़ आतो जी।
व्याकुल मन न श्याम धणी मं, थारा दरश करातो जी।
दिखलावो दातारी थे, सुणल्यो अर्जी म्हारी थे।। म्हाने…।। १ ।।
रो रो थारी याद मं दाता, आँख्यां दूखण लागी है।
कद होसी म्हारे श्याम का दर्शन, मन में आशा जागी है।
नैणां मांही नीर बहे, बिरहा की इब कूण सुणे ।। म्हाने… ।। २।।
थांने बिन देख्या ओ बाबा, चैन कठे भी आवे ना ।
बाबा थारी याद या म्हारी, जान कदे ले जावे ना।
क्यूं ना दर्शन दिखलावे, ‘माधव’ ने यूं तरसावे ।। म्हाने…।। ३ ।।
याद करां थारी बातां ने, नींद न आवे रातां ने।
म्हाने खाटू मांहि बुलाल्यो जी, श्याम घणी ।।
लिरिक्स – अभिषेक शर्मा (माधव) जी