जय माँ भगवती भवानी, जय जग्दम्बे राज रानी,
तेरी आरती गाऊं, तेरी आरती गाऊं ।।
1.. ऊंचे मंदिरों वाली माता, सच्चिया ज्योतां वाली माता,
जय हो शिवजी की पटराणी, तेरी आरती गाऊं ।।
2.. चौसठ योगिनी शंक बजावै, तेरे भैरुं चंवर ढुलावै,
करते हनुमान अगवानी, तेरी आरती गाऊं ।।
3.. हलवा पूड़ी चना चढ़ाऊं, तेरी मीठी नजर मैं पाऊं,
मेरी सफल करो जिंदगानी, तेरी आरती गाऊं ।।
4.. करके सिंह सवारी आओ, मेरे सिर पर हाथ फिराओ,
करती रहियो मेहरबानी, तेरी आरती गाऊं ।।
5.. मेहन्दी पायल नथनी प्यारी, चूड़ा चुनड़ गजरा भारी,
माथे मुकुट है मातारानी, तेरी आरती गाऊं ।।
6.. तेरा भंडारा करवाऊं, मैं भी सोने का छतर चढ़ाऊं,
मुझ नादान को करदे ज्ञानी, तेरी आरती गाऊं ।।
7.. नवरातों में भीड़ घणी आती, तुझको पूजे छत्तीसों जाती,
तेरी ज्योत बड़ी नूरानी, तेरी आरती गाऊं ।।
8.. तू ही महिसासुर संघारी, तू ही मधु कैटभ को मारी,
(तू ही चण्ड मुण्ड संघारी, तू ही शुम्भनिशुम्भ को मारी),
धारे अस्त्र शस्त्र मर्दानी, तेरी आरती गाऊं ।।
9.. तेरे भगत आरती गाते, ‘अम्बरीष’ बोले शीश झुकाते,
तू ही सबकी लाज बचानी, तेरी आरती गाऊं ।।
लिरिक्स – अम्ब्रीश कुमार जी