(तर्ज- पल पल दिल के पास तुम रहती हो….)
हर लम्हां, हर श्वांस, पुकारा करता हूँ ।
सांवरिये का नाम, उच्चारा करता हूँ ।।
हर लम्हा…
इक पल भी गुजरे ना, जो याद ना आये,
हर आहट पर लगता, जैसे हो तुम आये,
बेचैन रहता हूँ, रहता हूँ, यादें सताती हैं,
दीवानगी मेरी बढ़ती ही जाती है।
भींगी पलके मेरे, जज्बात बताती हैं ।।
हर लम्हां…
क्या ये जीवन बीतेगा, हालात सुनाने में,
यूं ही अश्कों को पीकर, मुस्कान दिखाने में,
तुम बनो ना बेगाने, मुझे धाम बूला लेना,
व्याकुलता जीवन की, हे नाथ भुला देना,
प्रभु दरश दिखाकर के, मुस्कान लूटा देना ।।
हर लम्हां…
बस चाहूं मैं इतना, खाटू में पनाह देना,
हर रोज मिलने का वादा तो निबाह लेना,
रहूं श्याम समर्पित मैं, चरणों में सुरक्षित मैं,
“राजू” का लक्ष्य यहीं, प्रभु करता वर्णित मैं,
भक्ति रस का प्याला, पाकर के गर्वित मैं ।।
हर लम्हां…