गजानन अलबेली सरकार,
गौरी नन्दन शिवसुत प्यारे, है मूसे असवार ।। टेर।।
तर्ज – कि नैया ले चल परली पार ।
ऋद्धि-सिद्धि शुभ लाभ के दाता,
बल बुद्धि विद्या के प्रदाता, प्रथम पूज्य हैं भाग्य विधाता,
जो जन तुमको प्रथम मनाये, होती जय जयकार।। गजानन .. ।।१।।
सुबह शाम तेरे गुण गाये,
हाथ जोड़ कर शीश नवाये, विघ्न ओ बाधा आ नहीं पाये,
अणिमांदिक सिद्धि पाता वो, भरा रहे भण्डार।। गजानन .. ।। २ ।।
‘मित्र मंडल’ के सेवक सारे,
करते मिल गुणगान तुम्हारे, पूरे कर अरमान हमारे,
आन विराजो हृदय कमल पे, ‘सांवर’ करे पुकार।। गजानन .. ।। ३ ।।
लिरिक्स – सांवर जी