धीरज बांध के अर्ज लगा ले,
तेरो जन्म सुधर जासी,
खाटू आया जाया कर तू,
प्रेम को सौदो पट ज्यासी,
धीरज बांध के अर्ज लगा ले,
तेरो जन्म सुधर जासी….
तर्ज – नगरी नगरी द्वारे द्वारे
ज्यूँ ज्यूँ खाटू जावगो तू,
बिना किसी दरकार के,
त्यूँ त्यूँ प्रेम बढ़ेगो तेरो,
श्याम धणी सरकार से,
ऐ की यारी मिली जो प्यारे,
मौज स्यूँ जीवन कट जासी,
धीरज बांध के अर्ज लगा ले….
माया घणी लुटावे बाबो,
प्रीत में करतो देर जी,
एक बेर जो बँध गई डोरी,
रात ने करे सवेर जी,
श्याम चरण में मिटा ले हस्ती,
दुख में सुख तन्ने दिख जासी,
धीरज बांध के अर्ज लगा ले….
तेरा तुझ में कुछ नहीं प्यारे,
जो कुछ है सब श्याम का,
‘ललित’ क्यों फिर तू मालिक बनता,
तू सेवक बन श्याम का,
श्याम नाम की रटन लगा तूं,
तेरो अगलो पिछलो सुधर जासी,
धीरज बांध के अर्ज लगा ले….
लेखक – ललित सूरी जी
स्वर – संजय मित्तल जी