अरे कान्हा, होले से यूं तेरा मुस्काना,
बना देता, हम भगतों को तेरा दिवाना ।। टेर ।।
तर्ज – तेरा जाना, दिल के अरमानों का लुट जाना ।
मोर मुकुट माथे धरा, नैनों में जादू भरा,
तेरे गिरधर साँवरा, आSSड
भोला मुख भोली अदा, जी करता देखूं सदा,
पल भर ना होवूं जूदा, ओडडS ।। १ ।।
टेढ़ी मेढ़ी चाल है, मोटे-मोटे गाल है,
सिर घुंघराले बाल है, आऽSS
गल फूलों का हार है, इत्तर की फूहार है,
क्या प्यारा सिणगार है, ओऽS5 ।। २ ।।
होठों पे मुरली सजे, मीठी-मीठी धुन बजे,
सेवक सारे है ठगे, आSSS
तेरी चितवन प्यारी है, तन मन तुझपे वारी है,
‘हर्ष’ तेरे बलिहारी है, ओऽड5 ।। ३ ।।
लिरिक्स – विनोद अग्रवाल (हर्ष) जी