(दोहा – देखो देखो ये गरीबी, ये गरीबी का हाल,
कृष्ण के दर पे, विश्वास लेके आया हु,
मेरे बचपन यार है… मेरा श्याम,
यही सोच कर में, आस करके आया हूँ !)
अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो,
की दर पे सुदामा गरीब आ गया है,
भटकते भटकते न जाने कहा से,
तुम्हारे महल के करीब आ गया है….
(तर्ज – ये माना मेरी जा)
न सर पे है पगड़ी, न तन पे है जामा,
बता दो कन्हैया को, नाम है सुदामा,
तुम एक बार मोहन, से जाकर के कह दो ,
कि मिलने सखा बदनसीब आ गया है,
अरे द्वारपालों….
सुनते ही दौड़े, चले आए मोहन,
लगाया गले से, सुदामा को मोहन ,
हुआ रुक्मणि को, बड़ा ही अचम्बा,
ये मेहमान कैसा अजीब आ गया है,
अरे द्वारपालों….
बराबर में अपने, सुदामा बेठाए,
चरण आसुओ से, श्याम ने धुलाये,
ना घबराओ प्यारे, जरा तुम सुदामा,
ख़ुशी का समां तेरे करीब आ गया,
अरे द्वारपालों….