आया जो साँवरे के, दरबार सिर झुकाकर,
अपना लिया प्रभु ने, उसको गले लगाकर,
सबको निभाता मेरा श्याम,
बिगड़ी बनाता मेरा श्याम ।। टेर ।।
तर्ज – आजा मेरे कन्हैया ।
जो हार करके आया, वरदान उसने पाया,
जन्मों जनम का साथी, उसे श्याम ने बनाया,
रोता हुवा जो आये, जाये वो मुस्कुरा कर ।। १ ।।
मेरे श्याम प्रेमियों को, कभी रूठने ना देते,
विश्वास उनके दिल का, कभी टूटने ना देते,
शक हो अगर जरा भी, खुद देखो आजमाकर ।। २ ।।
जिसने भी सरको ‘माधव’, दर पे झुका दिया है,
उनका प्रभु ने जग में, रूतबा बढ़ा दिया है,
सबकी नजर में रखते, हीरा उसे बनाकर ।। ३ ।।
लिरिक्स – अभिषेक शर्मा (माधव) जी