कदम कदम पर बचा रहे हो,
ये तुम ही हो जो निभा रहे हो ।।
तर्ज – तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो ।
मजबूरियां मेरी समझी तुमने,
थामे रखा इन हाथों को तुमने,
रस्ते से कंकर हटा रहे हो,
ये तुम ही हो जो निभा रहे हो,
कदम कदम पर बचा रहे हो ।।
कमियां कई है श्याम मुझमें,
अपनाया मुझे संग पापों के तुमने,
गुनाहों को ढकते ही जा रहे हो,
ये तुम ही हो जो निभा रहे हो,
कदम कदम पर बचा रहे हो ।।
कैसे ‘कमल’ बता श्याम जीते,
मर जाते ये जख्म सीते सीते,
हाथों से मरहम लगा रहे हो,
ये तुम ही हो जो निभा रहे हो,
कदम कदम पर बचा रहे हो ।।
लिरिक्स – राघव गुप्ता (कमल जी)