आसी लीले को असवार मेरी आँख फड़के ।। टेर ।।
तर्ज – आयो सांवरियों सरकार ।
जीवन डोर थारे हाथ में कन्हैया,
डगमग हिचकोला खावे मेरी नैया,
चिन्ता सतावे मेरी छाती धड़के ।। आसी ।।
बड़ों ही दयालु मेरे बाबो खाटू वालो,
सदा ही खड्यो है दाता बणके रूखालो,
सागे वो चाले मेरो साथी बणके ।। आसी ।।
पक्को है भरोसो मन्ने सांवरो तो आसी,
आंगली पकड़ मन्ने पार वो लगासी,
दुखड़ा मिटासी मेरी आँख्या पढ़के ।। आसी ।।
दीन के दयाल की तो बात है निराली,
‘हर्ष‘ भगत को यो बण जावे हाली,
रूतबो है सांवरियों को सैंसु हटके ।। आसी ।।
लिरिक्स – विनोद अग्रवाल (हर्ष) जी