जिस पल का हमें, बेसब्री से इन्तज़ार है,
उस पल के लिए, पलकों ने किया श्रृंगार है,
सब देवी देव पधारें, ‘संपरिवार है’ – २ ।। टेर ।।
तर्ज़ – कब तक चुप बैठे अब ।
शिव पार्वती के संगमें, श्री कार्तिकेय भी आये,
रिद्धि सिद्धि को अपने, साथ विनायक लाये,
चारों दिशाओं में गूँजे जयकारा है – ३ ।। १ ।।
सियाराम के संग बजरंगी, हैं राधा संग कृष्ण भी आये,
लक्ष्मी माँ दुर्गा सरस्वती, खाटू से श्याम भी आये,
स्वागत में सारे नर नारी तैयार है – ३ ।। २ ।।
सौभाग्य हमारा है ये, बड़ा शुभ दिन आज है आया,
आशीष ‘मोहित’ को देने, पूरा स्वर्ग धरा पे आया,
माँ बाप के अच्छे कर्मों का उपहार है – ३ ।। ३ ।।
लिरिक्स – आलोक गुप्ता (मोहित) जी