राधिका रानी जी,
वृषभानु दुलारी जी,
सुनलो अरज हमारी,
रहु बृज रज को उपासी….
बृजवासिन के मधुकरी पाउ,
श्री राधारमण को मन में बसाऊ,
कृपा अभिलाषी जी, राधिका रानी जी,
सुनलो अरज हमारी,
रहु बृज रज को उपासी….
मंगला उठ यमुना जी जाऊ,
श्री राधावल्लभ की झांकी पाऊ,
कृष्ण-मनुहारिणी जी, रास-विलासिनी जी,
सुनलो अरज हमारी,
रहु बृज रज को उपासी….
रसिक जनन की संगत पाऊ,
श्री कुंज-बिहारी संग नेह लगाऊ,
उचे महलनवारी जी, किरत सूत प्यारी जी,
सुनलो अरज हमारी,
रहु बृज रज को उपासी….
गोवर्धन पर्वत पे विराजो,
गिरधर लाल संग दरश करादो,
बृज की रानी जी, अतिसुकुमारी जी,
सुनलो अरज हमारी,
रहु बृज रज को उपासी….
लेखक – पूज्य श्री इंद्रेश जी महाराज
स्वर – पूज्य श्री इंद्रेश जी महाराज