भावों को सुनता है, कुछ ना कहता है,
सच्चे प्रेमी से ये, सेवा लेता है,
दिखता नहीं पर संग रहता है… भावों को सुनता है ।। टेर ।।
तर्ज – फूलों का तारों का इतना ।
दुःख से हारा प्रेमी, जब हो जाता उदास,
ना जाने क्यूँ दिल से, आती ये आवाज,
इनकी शरण में है, फिर क्यूं डरता है ।। सच्चे प्रेमी ।।
वो है नसीबों वाला, जिसको श्याम है मिला,
वो घर भाग्यशाली, जिसे उसका ध्यान मिला,
सुख दुःख का पहिया तो, चलता रहता है ।। सच्चे प्रेमी ।।
हिम्मत बढ़ जाती है, जब भी श्याम गावूं मैं,
हर मुश्किल को आसान, होता पावूं मैं,
पग पग पे प्रेमी की, रक्षा करता है ।। सच्चे प्रेमी ।।
सच्चे भावों का भूखा, इसे भजन सुनाये जा,
ये सारे जग का मालिक, इसे मीत बनाये जा,
धीरे-धीरे से ये, प्रेम पनपता है ।। सच्चे प्रेमी ।।